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Saturday, July 27, 2024

उपराष्ट्रपति: ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की तैनाती को अनिवार्य किया जानी चाहिए

—युवा डॉक्टरों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में तीन से पांच साल की सेवा जरूरी 
—डॉक्टर-मरीज अनुपात में अंतर को देखते हुए मेडिकल कॉलेजों की संख्या में बढ़ोत्तरी जरूरी
—चिकित्सा शिक्षा और उपचार सस्‍ता होना चाहिए: उपराष्ट्रपति

नई दिल्ली /खुशबू पाण्डेय : उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि सरकारी क्षेत्र में डॉक्टरों को पहली पदोन्नति देने से पहले ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा को अनिवार्य किया जानी चाहिए। 11वें वार्षिक चिकित्सा शिक्षक दिवस समारोह में बोलते हुए उपराष्ट्रपति ने इस बात को ध्यान में रखते हुए कि देश की 60 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है, कहा कि युवा डॉक्टरों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में तीन से पांच साल की सेवा जरूरी है। चिकित्सा पेशे को एक नेक कार्य बताते हुए उन्होंने डॉक्टरों को सलाह दिया कि वे कोई भी कमी और चूक न करें, बल्कि जुनून के साथ देश की सेवा करें। डॉक्टरों से अपने सभी कार्यों में मानवता के लिए करुणा के मुख्य मूल्य को याद रखने की बात कहते हुए, उन्होंने कहा कि “जब आप किसी प्रकार की दुविधा में हों तो इसे अपना नैतिक मानक बनाएं और नैतिक मानक बनाएं और हमेंशा उच्‍च नैतिम मूल्‍यों का पालन करें। अगर आप निस्वार्थ और समर्पण की भावना के साथ लोगों की सेवा करते हैं, तो आप असीम और वास्तविक खुशी प्राप्त करते हैं।

उपराष्ट्रपति: ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की तैनाती को अनिवार्य किया जानी चाहिए

पूरे देश में, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, अत्याधुनिक स्वास्थ्य अवसंरचना के निर्माण का आह्वान करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने बेहतर स्वास्थ्य अवसंरचना की आवश्यकता पर बल दिया है और राज्य सरकारों को इस पहलू पर विशेष रूप से ध्यान देने की सलाह भी दी।

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उपराष्ट्रपति ने देश में डॉक्टर-रोगी के बीच के अनुपात में अंतर को पाटने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख करते हुए मेडिकल कॉलेजों की संख्या में बढ़ोत्तरी करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि देश में डॉक्टर-रोगी अनुपात 1:1,456 है जबकि डब्ल्यूएचओ का मानक 1:1000 है। प्रत्येक जिले में कम से एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना करने वाली सरकार की योजना की सराहना करते हुए, उन्होंने कहा कि डॉक्टरों का शहरी-ग्रामीण अनुपात भी बहुत ज्यादा विषम है क्योंकि ज्यादातर चिकित्सा पेशेवर शहरी क्षेत्रों में ही काम करना पसंद करते हैं।

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नायडू ने इस बात पर भी बल दिया कि चिकित्सा शिक्षा और उपचार दोनों सस्ता और आम लोगों की पहुंच में होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बजट का आवंटन ज्यादा करने के साथ ही शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की जानी चाहिए। तीव्रता के साथ बदलती हुई तकनीकी दुनिया का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने मेडिकल कॉलेजों से यह भी सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि उनके पोर्टल पर जो लोग जाते हैं वे नवीनतम नैदानिक और उपचार प्रणालियों से अवगत होते रहें। उन्होंने कहा कि “यह SARS-CoV-2 के कारण होने वाली महामारी को ध्यान में रखते हुए और ज्यादा आवश्यक हो गया है क्योंकि नॉवल कोरोनवायरस के संदर्भ में वैज्ञानिकों से लेकर डॉक्टरों तक सभी लोगों को नई सीख प्राप्त हुई है।” उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह सुनिश्चित करना बहुत आवश्यक है कि मेडिकल छात्र उच्च नैतिकता और नैतिक मानकों को अपनाएं और उनका अभ्यास करें। उन्होंने सलाह दी कि वे हमेशा नेक काम के लिए प्रतिबद्ध बने रहें और अपने पेशे तथा अपने रोगियों के हितों की रक्षा करें।

डॉ. के. श्रीनाथ रेड्डी और डॉ. देवी शेट्टी को मिला लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड

उपराष्ट्रपति नायडू ने स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा प्रदान करने हेतु सरकार के साथ साझेदारी करने के लिए भारत के कई अग्रणी अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों के शीर्ष संगठन, एसोसिएशन ऑफ नेशनल बोर्ड एक्रेडिटेड इंस्टीट्यूशन (एएनबीएआई) की भी सराहना की। उपराष्ट्रपति ने आज भारत के पूर्व राष्ट्रपति और राजनेता-दार्शनिक, स्वर्गीय सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने अपने सभी शिक्षकों को भी श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने उनके करियर को एक रूप और आकार प्रदान किया। इससे पहले उन्होंने जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ और पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष, डॉ. के. श्रीनाथ रेड्डी और डॉ. देवी शेट्टी सहित अन्य लोगों को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया।

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