36.7 C
New Delhi
Wednesday, April 30, 2025

भारी दबाव में बजट, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण देंगी आर्थिक टीका

-कर्मचारी वर्ग को महंगाई भत्ता रिलीज करने की उम्मीद
-लघु-मझोले और बड़े उद्योगों को टैक्स से राहत की उम्मीद
-कृषि क्षेत्र में सुधार और रोजगार के नए अवसरों की उम्मीद

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल । कोरोना के चलते इस बार का बजट भारी दबाव में है। लगभग खाली पड़े राजकोष को भरने के लिए टैक्स बढ़ाने का दबाव, महंगाई से लोगों की कमर न टूट जाए, उसे संभालने का दबाव, कोरोना काल में खत्म हो चुकी नौकरियों की जगह नए रोजगार सृजित करने का दबाव, बंद हो रहे छोटे-मझोले उद्योगों के पुनरुद्धार का दबाव साफ दिखेगा। इन सबके बावजूद देश को काफी उम्मीदें भी हैं। कर्मचारी वर्ग को उम्मीद है कि उसका रोका गया महंगाई भत्ता रिलीज हो। मध्यम वर्ग को उम्मीद है कि सरकार बिना कोई नया टैक्स लगाए या बढ़ाए, बैलेंस्ड बजट दे और उद्योग जगत हालात से उबरने के लिए राहत पैकेज की उम्मीद लगाए हुए है।
केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार को संसद में 2020-21 का बजट पेश करेंगी। यह एक अंतरिम बजट समेत मोदी सरकार का नौवां बजट होगा। इसमें व्यापक रूप से रोजगार सृजन और ग्रामीण विकास पर खर्च को बढ़ाने, विकास योजनाओं के लिए उदार आवंटन, औसत करदाताओं के हाथों में अधिक पैसा डालने और विदेशी कर को आर्किषत करने के लिए नियमों को आसान किए जाने की उम्मीद की जा रही है। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि भारी दबाव के बावजूद सरकार को एक बैलेंस्ड बजट देना होगा। कोरोना महामारी से देश के सामने जो हालात बने हैं, उसमें किसी भी तरह के नए टैक्स की गुंजाईश नहीं दिखती। लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाने के लिए सरकार को बजट में कोई ऐसा प्रावधान करना होगा, जिससे नगदी बाजार में पहुंचे और डिमांड बढ़े। तभी कारोबारी गतिविधियां गति पकड़ेंगी और सूक्ष्म, लघु, मझोले उद्योगों के साथ बड़े उद्योगों को भी संभलने का मौका मिलेगा और रोजगार भी सृजित हो सकेंगे।
कोरोना काल में सरकारी कर्मचारियों के महंगाई भत्ते समेत तमाम भत्तों के भुगतान पर सरकार ने रोक लगा दी थी। कर्मचारी वर्ग को उम्मीद है कि अब जब वैक्सीन लगने शुरू हो चुके हैं और हालात सामान्य होने लगे हैं तो उनके भत्तों का भुगतान रिलीज कर दिया जाएगा। वहीं उद्योगों और कारोबार जगत भी उम्मीद लगाए बैठा है कि सरकार जीएसटी का रिफंड करेगी, जिससे उसकी लड़खड़ाई आर्थिकी सुधर सके। हालांकि कोरोना टीकाकरण, कोरोना काल के दौरान मुफ्त राशन वितरण समेत मनरेगा का बजट बढ़ाने और अन्य जो उपाय सरकार ने किए, उससे राजकोष पर बहुत दबाव है। इसलिए आर्थिक विशेषज्ञों को बजट से राहत की कोई खास उम्मीद नजर नहीं आ रही है। फिर भी उम्मीद की जा रही है कि इसमें महामारी से पीडि़त आम आदमी को राहत दी जाएगी। साथ ही स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे और रक्षा पर अधिक खर्च के माध्यम से आर्थिक सुधार को आगे बढ़ाने पर अधिक ध्यान दिए जाने की भी उम्मीद है।

धन जुटाने की बड़ी चुनौती

मार्केट स्ट्रैटजिस्ट पीयूष पटोदिया का मानना है कि इस वक्त सरकार के सामने खाली खजाने को भरने की सबसे बड़ी चुनौती है। कोरोना काल में जिस तरह लोगों की नौकरियां गईं, सूक्ष्म, लघु, मझोले उद्योग बंद हुए, और डिमांड घटने से कारोबार-उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुए उसे देखते हुए किसी भी तरह का नया कर लगाना या करों में वृद्धि करना सरकार के लिए आसान कदम नहीं होगा। आर्थिक तौर पर सरकार बेहद दबाव में है। सरकार को हेल्थ केयर, डिफेंस सेक्टर में निवेश बढ़ाने के साथ अपना खजाना बढ़ाने को विनिवेश बढ़ाने पर जोर देना होगा। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने को जीएसटी रिफंड, कर्मचारियों के रोके गए भत्ते रिलीज करने होंगे। आम लोगों को ज्यादा से ज्यादा नगदी मुहैया कराने की तरकीबें करनी होगी।

बैलेंस्ड स्टेप्स की जरूरत

आर्थिक विश्लेषक संतोष तिवारी का मानना है कि कोरोना महामारी के चलते देश के सामने जो परिस्थितियां हैं, उसमें बजट में बैलेंस्ड स्टेप्स लेने की जरूरत है। आम जनता, उद्योग और कारोबारी सरकार से मदद की उम्मीद लगाए हुए हैं। वे किसी भी तरह के नए टैक्स को झेलने की स्थिति में नहीं हैं। सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती महंगाई को रोक कर रखने की है। कृषि क्षेत्र भी इस वक्त दबाव में है। उनका मानना है कि राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए ऐसे उपायों को अपनाना होगा, जिससे फंड जुटाया जा सके। इसके लिए लिए विनिवेश बढ़ाने, पब्लिक और प्राइवेट निवेश बढ़ाने पर जोर देने की जरूरत होगी। इसके साथ ही टैक्स नियमों को और सरल करना होगा। तिवारी का मानना है कि सरकार को अगले 10 साल का खाका तैयार करना चाहिए।

latest news

Related Articles

Delhi epaper

Prayagraj epaper

Latest Articles