नई दिल्ली /अदिति सिंह । मराठी कीर्तनकार इंदौरीकर (Kirtankar Indorikar) के मुताबिक कोई जोड़ा सम तिथियों (हिंदू कैलेंडर के अनुसार) में शारीरिक संबंध (Physical relationship) बनाए तो गर्भ में लड़का आएगा और विषम (ऑड) तिथियों में संबंध बनाने पर लड़की आएगी। मराठी कीर्तनकार के इस बयान को बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court) की औरंगाबाद बेंच ने गलत माना है। साथ ही कहा कि गर्भ धारण करने और बच्चे का लिंग तय करने के लिए धार्मिक प्रवचन देना पहली नजर में कानून अपराध है। बेंच ने यह टिप्पणी करते हुए मराठी कीर्तनकार निवृत्ति काशीनाथ देशमुख इंदौरीकर के खिलाफ दर्ज केस को खारिज करने से इनकार कर दिया है।
—हाईकोर्ट ने माना गलत,लिंग तय करने के लिए सलाह देना अपराध
—बच्चे का लिंग तय करने के लिए धार्मिक प्रवचन देना अपराध
—गर्भ में आने वाले बच्चे के लिंग निर्धारण की सलाह दी थी
बता दें कि मराठी कीर्तनकार इंदौरीकर ने 4 जनवरी, 2020 को अहमदनगर में प्रवचन के दौरान गर्भ में आने वाले बच्चे के लिंग निर्धारण की सलाह दी थी। उन्होंने कहा कि कोई जोड़ा सम तिथियों (हिंदू कैलेंडर के अनुसार) में शारीरिक संबंध (Physical relationship) बनाए तो गर्भ में लड़का आएगा और विषम (ऑड) तिथियों में संबंध बनाने पर लड़की आएगी। कीर्तनकार देशमुख ने अपना प्रवचन यूट्यूब पर भी अपलोड किया था। इस प्रवचन के लिए पर अंधविश्वास विरोधी संगठन ‘अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति’ ने कीर्तनकार के खिलाफ संगमनेर सेशन कोर्ट में शिकायत की। इसमें कहा गया कि इस तरह की सलाह देने से लोगों में अंधविश्वास फैलता है। इसलिए सलाह देने वाले को सजा मिलनी चाहिए।
शिकायत के साथ ही अहमदनगर जिला अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर माधवराव भावर की रिपोर्ट भी लगाई जिसमें कहा गया था कि मेडिकल साइंस कीर्तनकार देशमुख की सलाह की पुष्टि नहीं करता। याचिका में कीर्तनकार के खिलाफ प्री-कंसेप्शन एंड प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक्स एक्ट 1994 के तहत केस दर्ज करने की मांग की गई। तीन जुलाई 2020 को केस दर्ज कर लिया गया।
सेशन कोर्ट में इस पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने केस खारिज करते हुए कहा कि कीर्तनकार देशमुख ने लैबोरेटरी या लिंग जांच केंद्र का कहीं जिक्र नहीं किया, इसलिए उनके खिलाफ एक्ट में केस नहीं बनता। फैसले के खिलाफ समिति ने हाईकोर्ट में अपील की थी।
हाईकोर्ट ने कहा कि देशमुख के प्रवचन में दी गई सलाह भ्रूण लिंग जांच के विज्ञापन जैसी है। विज्ञापन या प्रचार शब्द केवल डायग्नोस्टिक सेंटर या क्लिनिक तक सीमित नहीं किए जा सकते। बल्कि ऐसे प्रवचन जो भ्रूण लिंग की जानकारी देते हैं वह भी इसमें शामिल हैं। इसलिए कीर्तनकार देशमुख के खिलाफ मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
कीर्तनकार के वकील ने आयुर्वेद की कई पुस्तकों का हवाला दिया, लेकिन कोर्ट ने उनकी दलीलें खारिज कर दीं।
बता दें कि देश में घटते सेक्स रेश्यो और कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए केंद्र सरकार ने 1994 में एक एक्ट लागू किया था। इसे प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक्स एक्ट कहा जाता है। इसके तहत गर्भ में बच्चे के लिंग की जांच करना अपराध घोषित किया गया। 14 फरवरी 2003 में इस एक्ट को बेहतर बनाने के लिए इसमें संशोधन किया गया। तब से इसे एक्ट 1994 कहा जाता है। इसके तहत अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले जोड़े या करने वाले डाक्टर, लैब कर्मी को तीन से पांच साल की सजा और 10 से 50 हजार जुर्माने का प्रावधान है।