मुंबई/ नीतू सिंह । केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को महिला उद्यमियों से नेतृत्वकारी भूमिका निभाने का आह्वान किया। सीतारमण ने यहां बीएसई मुख्यालय में महिला निदेशकों के सम्मेलन में कहा कि कॉरपोरेट जगत में बड़े पदों पर कार्यरत महिलाओं की संख्या पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा महिलाओं में यह भावना बैठ गयी है कि उन्हें नेतृत्व की भूमिका में होने के लिए खुद को बार-बार साबित करने की जरूरत है। इसका समाधान उन्हें इस मामले में मार्गदर्शन तथा समर्थन देकर निदेशक मंडल में शामिल करना है।
—उद्यमों, कंपनियों में नेतृत्वकारी भूमिका निभाएं महिलाएं : सीतारमण
– घरेलू कंपनियों के निदेशक मंडल में महिलाओं की औसत 1.03 %
-निदेशक मंडल में अधिक महिलाओं को शामिल करने का अनुरोध
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि आंकड़ों के अनुसार, घरेलू कंपनियों के निदेशक मंडल में महिलाओं की औसत संख्या 1.03 प्रतिशत थी और उनमें से 58 प्रतिशत स्वतंत्र निदेशक हैं, जबकि 42 प्रतिशत गैर-स्वतंत्र निदेशक हैं। सीतारमण ने कंपनियों से अपने निदेशक मंडल में अधिक महिलाओं को शामिल करने का अनुरोध करते हुए कहा कि विश्वस्तर पर यह साबित हो गया है कि जिन कंपनियों के निदेशक मंडल में अधिक महिला अधिकारी हैं, वे अधिक लाभदायक और समावेशी हैं। उन्होंने कहा, महिलाएं स्त्री-पुरूष समानता और समावेशिता की मांग नहीं कर रही हैं। यदि आप लाभ चाहते है, तो हमें शामिल करें। अब आप हमें नजरअंदाज नहीं कर सकते। केंद्रीय मंत्री ने यह भी स्वीकार किया कि कंपनियों में महिला अधिकारियों की संख्या को बढ़ाने की आवश्यकता है। सीतारमण ने कहा कि कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय महिला निदेशकों की नियुक्ति के संबंध में कंपनी कानून के प्रावधानों से बचने के लिए कंपनियों के प्रयासों पर नजर रख रहा है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को बैंकों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि उनकी प्रणाली एक-दूसरे के अनुकूल रहे ताकि वे ग्राहकों की सेवा बेहतर ढंग से कर सकें। सीतारमण ने भारतीय बैंक संघ (आईबीए) की 75वीं सालाना बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि कई बार ग्राहकों को अलग-अलग बैंकों के साथ लेनदेन के लिए मजबूर होना पड़ता है। उन्होंने इस तरह की स्थिति को ऐसी कृत्रिम दीवार बताया जिसका निर्माण बैंकों ने अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए किया है। उन्होंने कहा कि बैंकों को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि उनकी प्रणालियां एक-दूसरे के अनुकूल और तालमेल में हों ताकि आम आदमी अलग-अलग बैंकों के साथ लेनदेन के लिए मजबूर न हो। इसके अलावा ग्राहक को बेहतर और अधिक कारगर ढंग से सेवा देने के लिए उसकी जबान में बात करना भी अहम है।
बैंकों को धांधली पर लगाम जरूरी
वित्त मंत्री ने कहा कि बैंकों को धांधली पर लगाम लगाने के लिए नवीनतम इंटरनेट प्रौद्योगिकी और कृत्रिम मेधा (एआई) में निवेश करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि समय के साथ प्रौद्योगिकी-आधारित नियामकीय निगरानी व्यवस्था लागू करने से बैंकों को काफी हद तक धोखाधड़ी पर लगाम लगाने में मदद मिली है। इसके साथ ही उन्होंने बैंक अधिकारियों से अनुरोध किया कि साइबर सुरक्षा के इंतजाम बढ़ाएं जिससे किसी भी तरह की गड़बड़ी का जल्द पता लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि बैंकों को आने वाले समय में कहीं अधिक बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार रहना होगा क्योंकि देश 2047 तक एक विकसित अर्थव्यवस्था होने के लिए प्रयास शुरू कर चुका है।