जानिए डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. विदूषी जैन की सलाह
नई दिल्ली/कंचन लता । कोरोना महामारी को फैलने से बचाने के लिए मास्क कैरी करना जरूरी है क्यों अभी तक इस बीमारी की कोई भी वैक्सीन नहीं बनाई जा सकी है। लेकिन मास्क लगाने से आपके चेहरे की त्वचा को काफी नुकसान पहुंच सकता है और इससे चेहरे पर जलन और मुंहासे की समस्या भी हो सकती है। वास्तविकता में मास्क लगाने की वजह से यह समस्या इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि इसे ‘मास्कने’ कह सकते हैं। डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. विदूषी जैन के अनुसार अगर हम दिन में काफी लंबे समय तक,मास्क कैरी करते हैं तो चेहरे पर जलन या एक्ने जैसे कुछ लक्षण दिखाई दे रहे हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में…
मास्क से जलन क्यों होती है…
मास्क त्वचा में मौजूद नमी, पसीना, तेल और गंदगी को सोख लेता है. जिसके परिणामस्वरूप चेहरे पर धब्बे, मुंहासे, छोटे धक्कों, रोम छिद्रों में सूजन, जलन, दबाव के घाव, टूटी हुई रक्त वाहिका की समस्या सामने आ रही है। मास्क कैरी करने के दौरान हमारी कुछ आदतें इस समस्या को बढ़ा सकती हैं. कई बार मास्क फिटिंग के नहीं होते हैं (बाजार पर बहुत कम कस्टम-फिटिंग मास्क हैं) ऐसे में मास्क को चेहरे पर एडजस्ट करने के लिए हम बार-बार हाथों से मास्क को छूते हैं ताकि इसे ठीक कर सकें। लेकिन इस दौरान ही हाथों पर लगी गंदगी, धूल के कण स्किन में चिपक जाते हैं और खुजली और जलन का कारण बनते हैं।
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कई बार खाते समय या बात करते समय हम मास्क को नीचे की तरफ खींच देते हैं जिससे पैदा हुए घर्षण यानी कि मूवमेंट से स्किन में जलन हो सकती है। यहां तक कि सांस लेने जैसी आसान चीज भी अब काफी मुश्किल हो चुकी है। डॉ. विदूषी जैन ने बताया कि जब मास्क पहने हुए ही हम बातें करते हैं तो उस दौरान मुंह की भाप से नमी पैदा होती है जिससे हमारी त्वचा का प्राकृतिक PH बदल जाता है। इससे बैक्टीरिया भी काफी बढ़ जाते हैं जोकि मुहांसे का कारण बन सकते हैं। साथ ही इससे रोम छिद्रों की भी समस्या होती है।
स्किन के लिहाज से सिल्क के मास्क बेहतर
N95 मास्क कोरोना वायरस को रोकने के लिए लिए काफी प्रभावी बताए जा रहे हैं. इसीलिए ज़्यादातर स्वास्थ कर्मी इसी मास्क को कैरी कर रहे हैं लेकिन ये मास्क पूरी तरह से कसा हुआ होता है। कपड़े के मास्क से आपकी स्किन पर धूल और गंदगी जमने की समस्या सामने आ सकती है। स्किन के लिहाज से सिल्क के मास्क बेहतर हैं। हालांकि ये मास्क कॉटन लेयरिंग के साथ होने चाहिए। डॉ. विदूषी जैन ने बताया कि सिल्क में एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं और ये संवेदनशील त्वचा वालों के लिए बेहतर होता है।
पीपीई पहनने से हो रही स्किन खराब
इन दिनों ज्यादातर हेल्थ केयर वर्कर्स पीपीई पहने ही दिखाई दे रहे हैं। इलाज के वक्त कोरोना से बचाव के लिए पीपीई पहनना जरूरी है लेकिन इस गर्मी में उन्हें पीपीई से कई तरह की स्किन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसमें लालिमा, स्किन का निकलना और दाने होने जैसी समस्याएं शामिल हैं।
डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. विदूषी जैन का कहना है कि कोरोना के समय में ही कई देशों में उन हेल्थकेयर वर्कर्स पर स्टडी की गई, जो लगातार एक से दो महीने तक पीपीई किट पहन रहे थे। सभी देशों की स्टडी में पाया गया कि पीपीई किट पहनने वाले एक तिहाई हेल्थ केयर वर्कर्स में दानों (एक्ने) की समस्या पाई गई। साथ ही लालिमा, स्किन निकलना भी पाया गया। यह पीपीई किट के हाइपर हाइड्रेशन इफेक्ट के चलते हुआ है। जलन, खुजली, चुभन आदि इसके लक्षण हैं। डॉ. विदूषी जैन का कहना है चूंकि गर्मी लगातार बढ़ रही है इसलिए देश में पीपीई किट पहनकर काम करने वाले हेल्थ केयर वर्कर्स में भी ऐसी समस्याएं हो सकती हैं।
मरीजों को भी समस्या
डॉ. विदूषी जैन का कहना है कि इटली में कोरोना पॉजिटिव मरीजों पर भी स्टडी हुई, जिसमें पता चला कि 20.4 प्रतिशत पॉजिटिव मरीजों में लाल दाने और चिकनपॉक्स जैसे छोटे-छोटे दाने पाए गए। हालांकि यह चिकनपॉक्स नहीं था, बस उसकी तरह दिखने वाले कुछ दाने थे। यह ज्यादातर छाती और हिप्स पर पाए गए थे। ऐसे में हो सकता है कि भारत में भी पॉजिटिव मरीजों को ऐसी समस्या हो रही हो। उनका कहना है कि सबसे ज्यादा असर ग्लव्स, सुरक्षात्मक चश्मों और मास्क की वजह से पड़ रहा है। हेल्थ केयर वर्कर्स लगातार 8 से 10 घंटे तक इन चीजों को पहन कर रखते हैं। इसके चलते ग्लब्स के पाउडर की वजह से हाथों की चमड़ी उतरने लगती है। चश्में और मास्क की वजह से खुजली और दाने जैसी समस्या होने लगती हैं।
मास्क लगाने से भी बड़ी समस्या हो रही है यह सही बात है