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Friday, December 26, 2025

बदलेगा 130 साल पुराना अंग्रेजों के जमाने का जेल सुधारों का कानून

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नई दिल्ली /खुशबू पाण्डेय : केंद्रीय गृह मंत्रालय  (home Ministry) ने जेल प्रबंधन (prison management) में सुधार और कैदियों के पुनर्वास को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से औपनिवेशिक काल के कारागार अधिनियम 1894 की समीक्षा कर आदर्श कारागार अधिनियम, 2023 को अंतिम रूप दिया है। यह राज्यों के लिए मार्गदर्शक दस्तावेज के रूप में काम कर सकता है। गृह मंत्रालय ने कहा कि यह नया अधिनियम व्यापक है और इसमें पुराने अधिनियम की कमियों को दूर किया गया है। मंत्रालय ने कैदी अधिनियम 1900 और कैदियों का स्थानांतरण अधिनियम 1950 की भी समीक्षा की गयी है और इनके प्रावधानों को नये अधिनियम में शामिल किया गया है।

-महिलाओं और ट्रांसजेंडर कैदियों की सुरक्षा पर रहेगा विशेष जोर
-जेल प्रबंधन में पारदर्शिता आएगी और कैदियों के सुधार तथा पुनर्वास का प्रावधान
-मौजूदा कारागार अधिनियम में हैं कई खामियां, बदलेगी तस्वीर
-राज्य कारागार प्रशासन तथा सुधार विशेषज्ञों की मदद से व्यापक प्रारूप तैयार

नए अधिनियम में महिलाओं और ट्रांसजेंडर कैदियों (transgender prisoners) की सुरक्षा पर अधिक जोर दिया जाएगा इससे जेल प्रबंधन में पारदर्शिता आएगी और कैदियों के सुधार तथा पुनर्वास का प्रावधान किया जाएगा। नए अधिनियम में कैदियों के व्यावसायिक प्रशिक्षण, कौशल विकास और समाज में उनके पुनर्वास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। मंत्रालय के मुताबिक मौजूदा कारागार अधिनियम 1894 आजादी से पहले का है और लगभग 130 वर्ष पुराना है। यह मुख्य रूप से अपराधियों को हिरासत में रखने और जेलों में अनुशासन तथा व्यवस्था लागू करने पर केंद्रित है और इसमें कैदियों के सुधार तथा पुनर्वास का प्रावधान नहीं है। मंत्रालय का कहना है कि मौजूदा कारागार अधिनियम में कई खामियां हैं और आधुनिक समय की जरूरतों तथा जेल प्रबंधन की आवश्यकताओं के अनुरूप अधिनियम को संशोधित करने की आवश्यकता महसूस की जा रही थी।
बता दें कि मंत्रालय ने कारागार अधिनियम 1894 में संशोधन की सिफारिशों की जिम्मेदारी पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो को सौंपी थी। ब्यूरो ने राज्य कारागार प्रशासन तथा सुधार विशेषज्ञों आदि से विस्तृत विचार विमर्श के बाद इसका प्रारूप तैयार किया है।

कैदियों के सुधार और पुनर्वास पर ध्यान  

अधिनियम में जेल प्रबंधन में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पैरोल, फर्लो प्रदान करने, अच्छे आचरण को बढ़ावा देने के लिए कैदियों की सजा माफ करने, महिला एवं ट्रांसजेंडर कैदियों के लिए विशेष प्रावधान, कैदियों की शारीरिक और मानसिक कुशलता के प्रावधान तथा कैदियों के सुधार और पुनर्वास पर ध्यान दिया गया है। मंत्रालय ने कहा है कि नया अधिनियम राज्यों के लिए मार्गदर्शक दस्तावेज के रूप में काम कर सकता है। मंत्रालय के मुताबिक कारागार अधिनियम, 1894, कैदी अधिनियम, 1900 और कैदियों का स्थानांतरण अधिनियम, 1950 की भी समीक्षा की गई है और इनके प्रासंगिक प्रावधानों को आदर्श कारागार अधिनियम, 2023 में शामिल किया गया है। राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन आदर्श कारागार अधिनियम, 2023 में जरूरत के अनुसार संशोधन करके इसे लागू कर सकते हैं और मौजूदा तीन अधिनियमों को निरस्त कर सकते हैं।

महिला कैदियों, ट्रांसजेंडर आदि को अलग रखने का प्रावधान

नए मॉडल कारागार अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं में सुरक्षा मूल्यांकन और कैदियों को अलग-अलग रखने, वैयक्तिगत सजा योजना बनाने के लिए प्रावधान, शिकायत निवारण, कारागार विकास बोडर्, बंदियों के प्रति व्यवहार में परिवर्तन महिला कैदियों, ट्रांसजेंडर आदि को अलग रखने का प्रावधान , कारागार प्रशासन में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से प्रौद्योगिकी के उपयोग का प्रावधान, अदालतों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, जेलों में वैज्ञानिक और तकनीकी
पहल आदि का प्रावधान किया गया है।

पैरोल, फर्लो और समय से पहले रिहाई आदि के लिए प्रावधान

जेलों में प्रतिबंधित वस्तुओं जैसे मोबाइल फोन आदि का प्रयोग करने वाले बंदियों एवं जेल कर्मचारियों के लिए दण्ड का प्रावधान, उच्च सुरक्षा जेल, ओपन जेल (ओपन और सेमी ओपन), आदि की स्थापना एवं प्रबंधन के संबंध में प्रावधान, खूंखार और आदतन अपराधियों की आपराधिक गतिविधियों से समाज को बचाने का प्रावधान। कैदियों को कानूनी सहायता प्रदान करने, अच्छे आचरण को बढ़ावा देने के लिए पैरोल, फर्लो और समय से पहले रिहाई आदि के लिए प्रावधान, कैदियों के व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास तथा उन्हें समाज से दोबारा जोडऩे पर बल देना शामिल है। मंत्रालय का कहना है कि इस निर्णय से देशभर के कारागारों के प्रबंधन और कैदियों के प्रशासन में सुधार तथा पारदर्शिता आएगी।

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