39 C
New Delhi
Thursday, April 25, 2024

विवाहित महिला हैं और गले में मंगलसूत्र नहीं पहनती हैं तो सावधान

नई दिल्ली /अदिति सिंह : शादीशुदा महिलाओं के लिए एक महत्वपर्णू खबर है। अगर आप विवाहित महिला हैं और मंगलसूत्र नहीं पहनती हैं तो सावधान, ये पति की भावनाओं से खिलवाड़ है। मद्रास हाई कोर्ट ने ऐसे ही एक मामले में इसे मानसिक क्रूरता करार देते हुए पीड़ित पति को तलाक की अनुमति दे दी। कोर्ट ने कहा कि गले से मंगलसूत्र (थाली) उतारना पति से मानसिक क्रूरता की पराकाष्ठा है। इससे पति को ठेस पहुंचती है। महिला के गले में मंगलसूत्र एक पवित्र चीज होती है और यह विवाहित जीवन की निरंतरता का प्रतीक है। इसे पति की मृत्यु के बाद ही उतारा जाता है।
मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस वीएम वेलुमणि और जस्टिस एस सौंथर की खंडपीठ ने इरोड के एक मेडिकल कालेज में प्रोफेसर सी शिवकुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें तलाक की मंजूरी दे दी। यह जानकारी समाचार एजेंसी ने दी है।

पत्नी के गले में मंगलसूत्र नहीं, पति देगा तलाक
गले से मंगलसूत्र उतारना पति से मानसिक क्रूरता की पराकाष्ठा
—महिला के  मंगलसूत्र पवित्र चीज, विवाहित जीवन की निरंतरता का प्रतीक

याचिकाकर्ता ने स्थानीय परिवार न्यायालय के 15 जून, 2016 के उस आदेश को रद करने की मांग की थी, जिसमें उन्हें तलाक देने से इन्कार कर दिया गया था। महिला ने कोर्ट में स्वीकार किया कि अलगाव के समय उसने अपने मंगलसूत्र की जंजीर (विवाहित होने की निशानी के रूप में पत्‍‌नी द्वारा पहनाई गई पवित्र जंजीर) को हटा दिया था। हालांकि उसने तर्क दिया कि उसने केवल जंजीर हटाई है और मंगलसूत्र को अपने पास ही रखा है।

उसके वकील ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा-सात का हवाला देते हुए कहा कि मंगलसूत्र पहनना आवश्यक नहीं है। मान लिया पत्नी ने मंगलसूत्र उतार दिया, तब भी इसके उतारने से वैवाहिक जीवन पर कोई असर नहीं पड़ता। इस पर कोर्ट ने कहा कि यह सामान्य ज्ञान की बात है कि दुनिया के इस हिस्से में होने वाले विवाह समारोहों में पत्‍‌नी को मंगलसूत्र पहनाना एक आवश्यक अनुष्ठान है। यहां महिला द्वारा मंगलसूत्र उतारना साबित करता है कि उसने जानबूझकर पति को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य से ऐसा किया। यह क्रूरता की पराकाष्ठा है।
कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता और उसकी पत्‍‌नी 2011 के बाद से अलग रह रहे हैं। साफ है कि पत्‍‌नी ने इस अवधि के दौरान पुनर्मिलन के लिए कोई प्रयास नहीं किया है। पत्‍‌नी ने अपने कृत्य से पति के साथ मानसिक क्रूरता की है। इसी के साथ पीठ ने निचली अदालत के आदेश को रद कर दिया और याचिकाकर्ता को तलाक दे दिया।
पीठ ने कहा कि महिला ने कालेज स्टाफ, छात्रों की उपस्थिति और पुलिस के समक्ष भी पुरुष के खिलाफ अपनी महिला सहयोगियों के साथ विवाहेतर संबंधों के आरोप लगाए थे। पीठ ने कहा कि उसे यह मानने में कोई संकोच नहीं है कि पत्‍‌नी ने पति के चरित्र पर संदेह करके और उसकी उपस्थिति में विवाहेतर संबंध के झूठे आरोप लगाकर मानसिक क्रूरता की है।

latest news

Related Articles

epaper

Latest Articles