गाजियाबाद /भूपेंद्र तालान। जिले में प्रदूषण का संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। बीते छह वर्षों का आंकड़ा यह दर्शाता है कि केवल 67 दिन ही साफ हवा मिल सकी,जबकि बाकी दिन नागरिकों को संतोषजनक,मध्यम, खराब, बेहद खराब और गंभीर श्रेणी की हवा में ही सांस लेना पड़ा। विशेष रूप से वर्ष 2020 से अब तक 54 दिन गंभीर प्रदूषण वाली हवा में गुजरे हैं। ऐसे माहौल में सामान्य व्यक्ति को भी सांस लेने में कठिनाई और आंखों में जलन जैसी समस्याएं महसूस होती हैं। वर्ष 2020 और 2021 में हवा की गुणवत्ता सबसे अधिक खराब रही। वर्ष 2020 में 24 दिन और 2021 में 22 दिन हवा गंभीर श्रेणी में रही। गंभीर श्रेणी की हवा स्वास्थ्य के लिए अत्यंत खतरनाक मानी जाती है। इस प्रकार की हवा में सांस, दमा और हृदय रोग के मरीजों को विशेष परेशानी होती है। हवा की गुणवत्ता का सारांश इस प्रकार है।
-प्रदूषण की रोकथाम के लिए प्रशासनिक स्तर पर नहीं हो रही कार्रवाई,बढ़ी बेचैनी
—नागरिकों को खराब, बेहद खराब और गंभीर श्रेणी की हवा में ही सांस लेना पड़ा
-वर्ष 2020 और 2021 में हवा की गुणवत्ता सबसे अधिक खराब रही
वर्ष-2020 में साफ हवा 13 दिन, संतोषजनक 69 दिन, मध्यम 122 दिन, खराब 74 दिन, बेहद खराब 64 दिन और गंभीर 24 दिन रही। 2021 में साफ हवा 10 दिन, संतोषजनक 58 दिन, मध्यम 100 दिन, खराब 87 दिन, बेहद खराब 88 दिन और गंभीर 22 दिन रही। वर्ष-2022 में साफ हवा 12 दिन, संतोषजनक 54 दिन, मध्यम 102 दिन, खराब 132 दिन, बेहद खराब 63 दिन और गंभीर 2 दिन रही। 2023 में साफ हवा 10 दिन, संतोषजनक 64 दिन, मध्यम 159 दिन, खराब 86 दिन, बेहद खराब 42 दिन और गंभीर 3 दिन रही। 2024 में साफ हवा 15 दिन, संतोषजनक 60 दिन, मध्यम 162 दिन, खराब 85 दिन, बेहद खराब 41 दिन और गंभीर 3 दिन रही।

2025 में अब तक साफ हवा 6 दिन, संतोषजनक 90 दिन, मध्यम 134 दिन, खराब 57 दिन, बेहद खराब 16 दिन और गंभीर शून्य दिन रही। प्रदेश में गै्रप के दूसरे चरण के नियम लागू हैं। इसके तहत धूल उडऩे पर रोक, कोयला जलाने पर रोक, निर्माण सामग्री को खुले में रखने पर प्रतिबंध जैसे कड़े प्रविधान किए गए हैं। फिर भी शहर में खुले में निर्माण सामग्री जमा करना, सड़क पर धूल का फैलना जैसी गतिविधियां लगातार जारी हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इससे हवा की गुणवत्ता बिगड़ रही है और नागरिक गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं। वर्तमान हालात में अस्थमा, हृदय रोग और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों के मरीज सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन, गले में खराश और सिरदर्द जैसी समस्याएं सामान्य हो गई हैं।
लंबे समय तक खराब हवा में रहने से क्रॉनिक फेफड़ों और हृदय रोग की संभावना
स्वास्थ्य विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि लंबे समय तक खराब हवा में रहने से क्रॉनिक फेफड़ों और हृदय रोग की संभावना बढ़ जाती है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी अंकित सिंह ने बताया कि प्रदूषण रोकथाम के लिए संबंधित विभागों के साथ समन्वय कर कार्य किया जा रहा है। पर्यावरण फैलाने वालों पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में जुर्माना लगाया जा रहा है। शहरवासियों को भी जागरूक करना प्राथमिकता है,ताकि खुले में धूल और प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों को रोका जा सके। उन्होंने चेतावनी दी कि शहरवासियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए प्रदूषण नियंत्रण के उपायों को सख्ती से लागू किया जाएगा।
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