नई दिल्ली/ खुशबू पाण्डेय : राष्ट्रपति पद के चुनाव में झारखंड की पूर्व राज्यपाल और आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाले एनडीए की उम्मीदवार होंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में देर रात हुई भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में फैसला लिया गया। 2 घंटे चली बैठक के बाद पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने उनकी उम्मीदवारी की घोषणा की। इस मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ ङ्क्षसह, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, भाजपा महासचिव (संगठन) बीएल संतोष और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज ङ्क्षसह चौहान संसदीय बोर्ड की बैठक में शामिल हुए। बैठक के दौरान भाजपा संसदीय बोर्ड ने राष्ट्रपति पद के लिए 20 नामों पर विस्तार से चर्चा की। आखिर में पूर्ण सहमति आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू पर बनी। द्रोपदी चुनाव में अगर विजयी होती हैं तो वह देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होंगी। साथ ही वे भारत की सबसे युवा राष्ट्रपति होंगी। फिलहाल अभी सबसे युवा राष्ट्रपति बनने का रिकॉर्ड नीलम संजीव रेड्डी के पास है।
राष्ट्रपति चुनाव : आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू होंगी एनडीए की उम्मीदवार
– प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में फैसला
-राष्ट्रपति पद के लिए भाजपा-एनडीए में 20 नामों पर हुई लंबी चर्चा
– द्रोपदी चुनाव जीतती हैं तो देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होंगी
-यूपीए से सर्वसम्मति न बनने के बाद भाजपा ने उतारा अपना प्रत्याशी
बता दें कि भाजपा कल तक सभी दलों की सहमति से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का चुनाव करना चाहती थी। इसको लेकर भाजपा अध्यक्ष जेपी नडडा एवं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यूपीए के सभी घटक दलों से अलग-अलग विस्तार से बात की। लेकिन सर्वसम्मति से सहमति नहीं बन पाई। भाजपा अपने सभी घटक दलों के अलावा विपक्षी घटक दलों से बातचीत कर रही थी, इस बीच विपक्षी दलों ने मंगलवार को ही राष्ट्रपति चुनाव के लिए संयुक्त उम्मीदवार के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को मैदान में उतार दिया। इसके बाद भाजपा अपने एवं एनडीए के सभी दलों से बातचीत कर संसदीय दल की आपात बैठक बुलाई और देर रात द्रौपदी मुर्मू के नाम का ऐलान कर दिया।
Millions of people, especially those who have experienced poverty and faced hardships, derive great strength from the life of Smt. Droupadi Murmu Ji. Her understanding of policy matters and compassionate nature will greatly benefit our country.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 21, 2022
टीचर से करियर शुरू करने वाली द्रौपदी मुर्मू पार्षद, वाइस चेयरपर्सन के बाद विधायक बनीं। बाद में वह उड़ीसा सरकार में परिवहन मंत्री बनी। उन्हें 2007 में नीलकंठ अवार्ड वेस्ट विधायक का दिया गया। केंद्र में नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार आने के बाद 2015 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल बनाया गया। 2021 तक वह राज्यपाल रहीं।
बता दें कि मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोङ्क्षवद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है। विपक्षी उम्मीदवार के रूप में सिन्हा के नाम की घोषणा के बाद अगले राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए 18 जुलाई को मतदान होना अब तय माना जा रहा है। राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन पत्र भरने की प्रक्रिया जारी है। 29 जून नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि है। गौरतलब है कि राष्ट्रपति चुनाव में संख्या बल के आधार पर भाजपा नीत एनडीए मजबूत स्थिति में है और उसे यदि बीजद या आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस जैसे दलों का समर्थन मिल जाता है तो उसकी जीत निश्चित हो जाएगी।
भाजपा ने खेला आदिवासी कार्ड
भाजपा ने इस बार राष्ट्रपति पद के लिए आदिवासी चेहरे का चयन कर बड़ा सियासी कार्ड खेला है। सूत्रों के मुताबिक केंद्र में एनडीए के घटक दल बीजू जनता दल ने भी द्रौपदी मुर्मू के नाम पर सहमति जताई है। अगर मुर्मू चुनाव जीतती हैं तो वह देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति होंगी। गुजरात, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनाव को देखते हुए भाजपा आदिवासी समुदाय पर फोकस कर रही है। इसके अलावा यह एक अलग तरह का चयन है क्योंकि अब तक देश में कोई आदिवासी राष्ट्रपति नहीं बना। महिला आदिवासी अगर राष्ट्रपति बनती है तो भाजपा को चुनावी फायदा भी मिल सकता है। इसके अलावा अगर द्रौपदी मुर्मू चुनी जाती हैं तो वो भारत के इतिहास में पहली आदिवासी राष्ट्रपति होंगी। साथ ही अगर वो चुनाव जीतती हैं तो प्रतिभा पाटिल के बाद देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति बनेंगी। अगर वो जीतती हैं तो ओडिशा राज्य से आने वाली पहली राष्ट्रपति होंगी। द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पहली महिला गवर्नर रही हैं। वो ओडिशा की पहली महिला और आदिवासी नेता रही हैं, जिन्हें किसी राज्य में गवर्नर बनाया गया हो और जिसने अपना कार्यकाल पूरा किया हो।
द्रोपदी मुर्मू को मिला बर्थडे गिफ्ट
20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज में जन्मी द्रोपदी मुर्मू का जीवन बेहद संघर्षमय रहा है और उन्होंने सार्वजनिक जीवन में बड़ा योगदान दिया है। वो एक बेहद गरीब आदिवासी परिवार में पैदा हुईं। लेकिन उनके अंदर समाज के उत्थान के लिए काम करने की ललक थी। उन्होंने रैरंगपुर के श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में बिना वेतन के अध्यापन कार्य किया। इसके बाद अपना राजनीतिक करियर रैरंगपुर एनएसी के वाइस चेयरमैन के तौर पर शुरू किया। उन्हें ओडिशा विधानसभा ने वर्ष 2007 में सर्वश्रेष्ठ विधायक के तौर पर नीलकंठ अवार्ड से सम्मानित किया था। उन्होंने ओडिशा सरकार में ट्रांसपोर्ट, वाणिज्य, मछलीपालन, पशुपालन जैसे कई अहम विभाग संभाले। उन्होंने रामा देवी विमेंस कॉलेज से स्नातक किया था। इसके बाद द्रौपदी ने ओडिशा के राज्य सचिवालय में नौकरी की शुरुआत की। उनका विवाह श्यामाचरण मुर्मू के साथ हुआ था।
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-2002 से 2004 के बीच ओडिशा में भाजपा सरकार में मंत्री रहीं
-2007 में ओडिशा में सर्वश्रेष्ठ विधायक का अवॉर्ड जीता
-2015 में झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनीं
-1997 में पार्षद के तौर पर शुरू हुआ राजनीतिक सफर