नयी दिल्ली/,खुशबू पाण्डेय । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने बुधवार को कहा कि ‘न्याय’ शब्द के सबसे व्यापक अर्थ में अनेक सामाजिक आयाम समाहित हैं। उनमें से दो आयामों पर मैं विशेष रूप से जोर देना चाहूंगी। वे आयाम हैं – स्त्री-पुरुष के बीच न्यायपूर्ण समानता तथा जलवायु परिवर्तन। 78वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संदेश में राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे समाज में महिलाओं को केवल समानता का ही नहीं, बल्कि समानता से भी ऊपर का दर्जा दिया जाता है। हालांकि, उन्हें परंपरागत पूर्वाग्रहों का कष्ट भी झेलना पड़ा है। लेकिन, मुझे यह जानकर खुशी होती है कि सरकार ने महिला कल्याण और महिला सशक्तीकरण को समान महत्व दिया है। पिछले दशक में इस उद्देश्य के लिए बजट प्रावधान में तीन गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। श्रम बल में उनकी भागीदारी बढ़ी है। इस संदर्भ में, जन्म के समय बेटियों के अनुपात में हुए उल्लेखनीय सुधार को सबसे उत्साहजनक विकास कहा जा सकता है। महिलाओं को केंद्र में रखते हुए सरकार द्वारा अनेक विशेष योजनाएं भी लागू की गई हैं। नारी शक्ति वंदन अधिनियम का उद्देश्य महिलाओं का वास्तविक सशक्तीकरण सुनिश्चित करना है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को कहा कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और हम विश्व की तीन शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में स्थान प्राप्त करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने भारत में कथित सामाजिक स्तरों के आधार पर कलह को बढ़ावा देने वाली प्रवृत्तियों को खारिज करने का आह्वान भी किया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत अपनी प्रभावशाली स्थिति का उपयोग विश्व शांति और समृद्धि के विस्तार के लिए करना चाहता है।
सरकार ने महिला कल्याण और महिला सशक्तिकरण को समान महत्व दिया
—राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का 78वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन
—भारत अपनी प्रभावशाली स्थिति का उपयोग विश्व शांति, समृद्धि के विस्तार के लिए करना चाहता है: मुर्मू
78वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संदेश में राष्ट्रपति ने इस सफलता का श्रेय किसानों और श्रमिकों की अधिक मेहनत और उद्यमियों की दूरगामी सोच के साथ ही देश के दूरदर्शी नेतृत्व को दिया। उन्होंने कहा कि तेज गति से हो रही ‘न्याय-परक प्रगति’ के बल पर वैश्विक परिदृश्य में भारत का कद ऊंचा हुआ है और जी20 की अपनी अध्यक्षता के सफलतापूर्वक सम्पन्न होने के बाद उसने ‘ग्लोबल साउथ’ को मुखर अभिव्यक्ति देने वाले देश के रूप में अपनी भूमिका को मजबूत बनाया है। संविधान निर्माता बाबा साहब आंबेडकर के शब्दों को उद्घृत करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपने राजनीतिक लोकतंत्र को सामाजिक लोकतंत्र भी बनाना चाहिए और राजनीतिक लोकतंत्र तब तक नहीं टिक सकता जब तक कि उसके आधार में सामाजिक लोकतंत्र न हो। उन्होंने कहा, राजनीतिक लोकतंत्र की निरंतर प्रगति से सामाजिक लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में की गई प्रगति की पुष्टि होती है। समावेशी भावना, हमारे सामाजिक जीवन के हर पहलू में दिखाई देती है। अपनी विविधताओं और बहुलताओं के साथ, हम एक राष्ट्र के रूप में, एकजुट होकर, एक साथ, आगे बढ़ रहे हैं। राष्ट्रपति ने समावेश के साधन के रूप में सकारात्मक कार्रवाई को मजबूत किए जाने पर बल देते हुए कहा, मैं दृढ़ता के साथ यह मानती हूं कि भारत जैसे विशाल देश में, कथित सामाजिक स्तरों के आधार पर कलह को बढ़ावा देने वाली प्रवृत्तियों को खारिज करना होगा। भारत के दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि देश शीघ्र ही विश्व की तीन शीर्षस्थ अर्थव्यवस्थाओं में स्थान प्राप्त करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, यह सफलता किसानों और श्रमिकों की अथक मेहनत, नीति-निर्माताओं और उद्यमियों की दूरगामी सोच तथा देश के दूरदर्शी नेतृत्व के बल पर ही संभव हो सकी है। देशवासियों को 78वें स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देते हुए राष्ट्रपति ने महात्मा गांधी, सरदार पटेल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और बाबासाहब आंबेडकर तथा भगत सिंह और चंद्रशेखर आज़ाद जैसे अनेक महान जननायकों को याद किया। तिलका मांझी, बिरसा मुंडा, लक्ष्मण नायक और फूलो-झानो जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि यह एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन था, जिसमें सभी समुदायों ने भाग लिया। उन्होंने कहा, हम अपने संविधान की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। हमारे नव-स्वाधीन राष्ट्र की यात्रा में गंभीर बाधाएं आई हैं। न्याय, समानता, स्वतंत्रता और बंधुता के संवैधानिक आदर्शों पर दृढ़ रहते हुए, हम इस अभियान के साथ आगे बढ़ रहे हैं कि भारत, विश्व-पटल पर अपना गौरवशाली स्थान पुनः प्राप्त करे। राष्ट्रपति ने 2024 के आम चुनावों का भी उल्लेख किया और कहा कि इसमें लगभग 97 करोड़ मतदाताओं ने हिस्सा लिया। उन्होंने इसे एक ‘ऐतिहासिक कीर्तिमान’ बताया और कहा कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों द्वारा मताधिकार का प्रयोग करना वस्तुतः लोकतंत्र की विचारधारा का प्रबल समर्थन है। उन्होंने कहा, भारत द्वारा सफलतापूर्वक चुनाव आयोजित करने से पूरे विश्व में लोकतांत्रिक शक्तियों को ताकत मिलती है।
अगले दौर के आर्थिक सुधारों के लिए मंच तैयार: मुर्मू
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को कहा कि अगले दौर के आर्थिक सुधारों के लिए मंच तैयार हो चुका है, जिसका मकसद भारत को विकसित देशों की कतार में लाना है। मुर्मू ने 78वें स्वतन्त्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संदेश में देश की शानदार आर्थिक प्रगति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 से वर्ष 2024 के बीच सालाना आठ प्रतिशत की औसत आर्थिक वृद्धि दर हासिल करके भारत सबसे तेज गति से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा, यह हम सभी के लिए गर्व की बात है कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और हम जल्दी ही विश्व की तीन बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होंगे। राष्ट्रपति ने सफलता का श्रेय किसानों और श्रमिकों की अथक मेहनत, नीति-निर्माताओं और उद्यमियों की दूरगामी सोच तथा देश के दूरदर्शी नेतृत्व को दिया। उन्होंने देश की आजादी के सौवें साल 2047 तक भारत को विकसित देश में बदलने के सरकार के महत्वाकांक्षी लक्ष्य का भी जिक्र किया। राष्ट्रपति मुर्मू ने बुनियादी ढांचे के विकास पर सरकार के जोर, कृत्रिम मेधा और सेमीकंडक्टर जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाने और बैंक और वित्तीय क्षेत्र को मजबूत बनाने जैसे प्रमुख उपायों का उल्लेख किया।