— आरोप तय होने के बावजूद दोनों विधायकों पर कार्रवाई नहीं :शाजिया इल्मी
नई दिल्ली /नेशनल ब्यूरो : भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि दिल्ली की एक अदालत द्वारा 2018 में तत्कालीन मुख्य सचिव से हाथापाई करने के मामले में आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्ला खान और प्रकाश जरवाल के खिलाफ आरोप तय किए जाने का आदेश मुख्यमंत्री अरङ्क्षवद केजरीवाल के उस दावे की पोल खोलता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि ऐसी कोई घटना हुई ही नहीं। भाजपा ने केजरीवाल पर हमला करते हुए कहा कि आरोप तय होने के बावजूद वह दोनों विधायकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता शाजिया इल्मी ने आरोपों से मुक्त किए जाने के अदालत के फैसले को ‘सत्य की जीत बताने पर केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया को आड़े हाथों लिया और कहा कि तत्कालीन मुख्य सचिव का आरोप है कि उनके साथ हाथापाई मुख्यमंत्री आवास पर उनकी मौजूदगी में हुई। इल्मी ने कहा, आप कहते रहे कि ऐसा कुछ नहीं हुआ, लेकिन जो आरोप तय हुए हैं, उसका मतलब है कि अवङ्क्षरद केजरीवाल के सरकारी आवास पर मुख्य सचिव के साथ दुव्र्यवहार हुआ। ये बताता है कि अरङ्क्षवद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया इस मामले में झूठ बोलते रहे हैं। केजरीवाल पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि केजरीवाल को ‘माई एक्सपेरिमेंट विथ झूठ (झूठ के साथ मेरे प्रयोग) नाम से एक पुस्तक लिखनी चाहिए।
बता दें कि इल्मी ‘आप की संस्थापक सदस्य थी, लेकिन बाद में मतभेदों के चलते उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था और भाजपा का दामन लिया था। इल्मी ने कहा कि केजरीवाल के तत्कालीन सलाहकार ने भी अदालत से कहा है कि उन्होंने मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ हाथापाई होते देखी है। खान और जरवाल के खिलाफ आरोप तय होने के बावजूद आप उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। उन्होंने कहा, क्या केजरीवाल और सिसौदिया को इस बात का डर सता रहा कि यदि दोनों विधायकों के खिलाफ वह कार्रवाई करते हैं तो वह उनकी पोल खोल देंगे। वर्ष 2018 में तत्कालीन मुख्य सचिव से हाथापाई करने के मामले में अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सचिन गुप्ता ने बुधवार को अमानतुल्ला खान और प्रकाश जरवाल के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया है और कहा कि उनके खिलाफ पहली नजर में मामला बनता है। अदालत ने मुख्यमंत्री केजरीवाल और सत्तारूढ़ पार्टी के 10 अन्य विधायकों को आरोप मुक्त कर दिया। केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इसे ‘न्याय की जीतÓ बताया था।