30.1 C
New Delhi
Monday, October 20, 2025

रूस ने दिया भारत को जंग मेंं मध्यस्थता का आफर… जाने क्या कहा

Join whatsapp channel Join Now
Join Telegram Group Join Now

नयी दिल्ली /अदिति सिंह । रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने शुक्रवार को कहा कि यदि भारत चाहे तो वह अंतरराष्ट्रीय समस्याओं के प्रति अपने न्यायसंगत और तर्कसंगत दृष्टिकोण के साथ यूक्रेन में मौजूदा स्थिति को हल करने के लिए शांति प्रयासों का समर्थन कर सकता है। उन्होंने संघर्ष के मुद्दे पर नयी दिल्ली की स्वतंत्र स्थिति की सराहना करते हुए यह बात कही। लावरोव ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बातचीत के बाद एक मीडिया ब्रीङ्क्षफग में कहा कि अगर भारत शांति पहल में योगदान देने का फैसला करता है तो कोई भी इसका विरोध नहीं करेगा। भारत को महत्वपूर्ण और गंभीर देश बताते हुए उन्होंने कहा कि यह अमेरिका के किसी प्रभाव में नहीं आता है। लावरोव ने कहा कि भारत यदि चाहे तो भूमिका निभा सकता है और अंतरराष्ट्रीय समस्याओं के प्रति अपने न्यायपूर्ण एवं तर्कसंगत ²ष्टिकोण के साथ वह ऐसी प्रक्रिया का समर्थन कर सकता है तथा कोई भी इसके खिलाफ नहीं होगा। वह इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या भारत रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष को कम करने में मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है। रूसी विदेश मंत्री ने दोहराया कि यह नयी दिल्ली को तय करना है कि क्या वह ऐसी भूमिका देखती है जो इस वर्तमान स्थिति में समस्या का समाधान प्रदान करती है, और समानता एवं सुरक्षा प्रदान करती है।

—रक्षा क्षेत्र में भारत के साथ किसी भी सामान की आपूर्ति के लिए प्रतिबद्व :लावरोव
—रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव पहुंचे भारत, विदेश मंत्री से मुलाकात

उन्होंने दावा किया कि ये पश्चिमी देश थे जिन्होंने रूस को संघर्ष के लिए मजबूर किया। लावरोव ने कहा, मेरा मानना है कि भारत की विदेश नीति स्वतंत्रता और वास्तविक राष्ट्रीय वैध हितों पर ध्यान केंद्रित करने से प्रेरित है। उन्होंने कहा कि रूस भी उसी दष्टिकोण और नीति का पालन करता है तथा उसने दोनों बड़े देशों को अच्छा दोस्त और एक-दूसरे के अंतरराष्ट्रीय संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया है। लावरोव ने कहा, हम हमेशा एक-दूसरे के हितों का सम्मान करते हैं। वह चीन के दो दिवसीय दौरे के बाद बृहस्पतिवार शाम नयी दिल्ली पहुंचे। रूस के विदेश मंत्री के भारत पहुंचने से कुछ घंटे पहले, अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलीप ङ्क्षसह ने आगाह किया कि मॉस्को के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों को विफल बनाने के लिए सक्रिय रूप से प्रयास करने वाले देशों को परिणाम भुगतने होंगे। कई अन्य प्रमुख देशों के विपरीत, भारत ने अभी तक यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस की आलोचना नहीं की है और उसने संयुक्त राष्ट्र के मंचों पर रूस की निंदा करने वाले प्रस्तावों पर वोट देने से परहेज किया है। हालांकि, पिछले बृहस्पतिवार को यूक्रेन में मानवीय संकट पर रूस द्वारा लाए गए एक प्रस्ताव पर भारत अनुपस्थित रहा जिसे संघर्ष पर उसकी तटस्थ स्थिति के प्रतिबिंब के रूप में देखा गया। भारत कूटनीति और बातचीत के जरिए संकट के समाधान के लिए जोर देता रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 फरवरी, दो मार्च और सात मार्च को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ फोन पर बातचीत की थी। मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से भी दो बार बात की थी। पिछले हफ्ते, जयशंकर ने संसद में कहा था कि यूक्रेन संघर्ष पर भारत की स्थिति दढ़ और सुसंगत रही है तथा वह हिंसा को तत्काल समाप्त करने की मांग करता रहा है।

Related Articles

Delhi epaper

Prayagraj epaper

Kurukshetra epaper

Latest Articles