नई दिल्ली/खुशबू पाण्डेय : भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के लोकसभा चुनाव में मिशन-400 पार के टारगेट वाली लक्ष्मण रेखा को पार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। सरकार ने भारत रत्न रूपी सियासत का ऐसा तीर चलाया कि विपक्षी दलों की बोलती बंद हो गई। पूरब-पश्चिम से लेकर दक्षिण तक के राज्यों में पार्टी को बड़ा वोटबैंक नजर आने लगा है। पहले बिहार के जननायक कर्पूरी ठाकुर, और अब चौधरी चरण सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और एसएम स्वामीनाथन को भारत रत्न देकर सत्ताधारी दल ने 8 राज्यों के करीब 200 से 250 लोकसभा सीटों पर खेला कर सकती है। चार बड़े नाम के साथ न सिर्फ पिछड़े दलित और किसानों को साधा गया, बल्कि पीवी नरसिम्हा राव के साथ दक्षिण की सियासत में भी भाजपा ने बड़ा शॉट लगाया है।
-पूरब-पश्चिम से लेकर दक्षिण तक के राज्यों में बड़े वोटबैंक पर नजर
-कर्पूरी ठाकुर, चौधरी चरण सिंह, नरसिम्हा राव और स्वामीनाथन को भारत रत्न देकर 250 लोकसभा सीटों पर होगा खेला
-स्वामीनाथन और चौधरी चरण सिंह के जरिए किसानों पर डोरे डाले
-कर्पूरी ठाकुर के जरिए ओबीसी को बीजेपी के पाले में रखने की कवायद
-नरिसम्हा राव के जरिए दक्षिण के दुर्ग को साधना, कांग्रेस की फजीहत बढ़ाई
-लाल कृष्ण आडवाणी के जरिए राष्ट्रवाद और हिंदुत्व को साधा
-एक तीर से साधे कई निशाने, विपक्ष की बोलती हुई बंद
इन महान विभूतियों को भारत रत्न देना ऐसा मास्टर स्ट्रोक है जिससे बीजेपी को दोहरा लाभ पहुंचाएगा। इन महान विभूतियों को भारत रत्न देना ऐसा मास्टर स्ट्रोक है जिससे बीजेपी को दोहरा लाभ पहुंचाएगा। एक तो वह खुद के उदार हृदय होने का ढिंढोरा पीटेगी ही, विपक्ष भी बीजेपी के इस कदम की तारीफ भले नहीं करे, कम से कम वो विरोध तो नहीं ही कर पाएगा। खासकर नरसिम्हा राव को भारत रत्न देने के फैसले से कांग्रेस के लिए बड़ी उलझन की स्थिति पैदा हो गई। गांधी परिवार का नरसिम्हा राव से छत्तीस का आंकड़ा रहा लेकिन आज की बदली परिस्थितियों में वह राव पर बचाव की मुद्रा में आ गई है। भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी के जरिए राष्ट्रवाद और हिंदुत्व को साधा है तो एमएस स्वामीनाथन और चौधरी चरण सिंह के जरिए किसानों पर डोरे डाले हैं। वहीं कर्पूरी ठाकुर के जरिए देश के एक बड़े मतदाता वर्ग ओबीसी को बीजेपी के पाले में बनाए रखने की कवायद की गई है। नरिसम्हा राव को भारत रत्न देने के पीछे बीजेपी का मकसद दक्षिण के दुर्ग को साधना तो है ही, कांग्रेस पार्टी की फजीहत बढ़ाना भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और कृषि वैज्ञानिक एसएम स्वामीनाथन को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा की। इन तीनों नाम की घोषणा के साथ सियासी हलकों में भाजपा के लिहाज से चुनावी नफानुकसान का सियासी आंकलन किया जाने लगा। कर्पूरी ठाकुर के साथ जिस तरीके से भाजपा ने सियासत को भुनाना शुरू किया, वह इन तीन नामों के साथ और आगे बढऩी तय है। कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा के कुछ दिनों बाद बिहार के सियासत में बड़ी उथल-पुथल मची। नतीजा हुआ कि नीतीश कुमार एनडीए गठबंधन के साथ आ गए। कर्पूरी ठाकुर के नाम के साथ पिछड़ों, अतिपिछड़ों और दलितों की सियासत जुड़ी, तो राजनीतिक समीकरण ही बदल गए। कर्पूरी ठाकुर से जहां उत्तर भारत में पिछड़ी, अतिपिछड़ी और दलितों की सियासत थमी, वहीं चौधरी चरण सिंह से किसानों की बड़ी जमात पर भाजपा ने दांव खेल दिया है। सियासी जानकारों का कहना है कि केंद्र के इस कदम से आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए मदद मिल सकती है। बिहार में 27 प्रतिशत पिछड़ा और 36 प्रतिशत अति पिछड़ा वर्ग की हिस्सेदारी है। कुल मिलाकर 63 प्रतिशत की भागीदारी वाले समाज पर कर्पूरी ठाकुर का बहुत बड़ा प्रभाव है। यह वर्ग उन्हें अपने नायक के तौर पर देखता है। चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने की मांग यूपीए की सरकार के दौर से हो रही थी। अब जब चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा हो चुकी है तो जाट लैंड में भाजपा के लिहाज से सियासी समीकरणों के बदलने का पूरा खाका तैयार हो रहा है। चौधरी चरण सिंह की किसानों के मसीहा के रूप में पहचान रही है। अगले लोकसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के जाट बहुल सीटों पर चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने का असर पड़ सकता है। इन इलाकों की करीब 40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां जाट मतदाताओं का असर माना जाता है। किसान आंदोलन से केंद्र सरकार की बड़ी किरकिरी हुई थी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत हरियाणा और पंजाब के किसानों ने दिल्ली में लगातार लंबे समय तक डेरा डाला था। चौधरी को भारत रत्न देकर किसानों की भाजपा के प्रति तल्खी कम होने का अनुमान पार्टी के लिहाज से लगाया जाना स्वाभाविक है। इसलिए चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न की घोषणा से उत्तर भारत की सियासत में राजनीतिक फायदा देखा जा रहा है।
भाजपा को दक्षिण भारत में सियासी फायदा
पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न देने से भाजपा को दक्षिण भारत में सियासी फायदा हो सकता है। आर्थिक सुधारों के लिए पीवी नरसिम्हा राव ने देश के विकास में बड़ा योगदान दिया, उसके बाद उन्हें भारत रत्न की सिफारिश भाजपा के लिए बड़ा सियासी माइलेज वाला दांव तो माना ही जा रहा है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भाजपा अपना विस्तार कर रही है, उसमें पीवी नरसिम्हा राव को दिए जाने वाले भारत रत्न की घोषणा से सियासी फायदा मिल सकता है।
स्वामीनाथन : पूरे देश के किसानों को साधने की रणनीति
इसी तरह एसएम स्वामीनाथन को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा से भी भाजपा को देश के सभी हिस्सों के किसानों से सियासी लाभ मिलता नजर आ रहा है। बतौर वैज्ञानिक उनकी बेमिसाल उपलब्धियां रही हैं। इसके अलावा उनकी शख्सियत दक्षिण भारत के प्रतिभावान लोगों का भी प्रतिनिधित्व करती रही है। स्वामीनाथन को मरणोपरांत भारत रत्न देने से दक्षिण को साधने की मोदी सरकार की रणनीति को और मजबूती मिल सकती है। स्वामीनाथन कृषि क्रांति के जनक थे। उन्हें भारत रत्न देने से दक्षिण के साथ ही भाजपा की किसानों को साधने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। एमएस स्वामीनाथन का प्रभाव क्षेत्र पूरे देश में है, लेकिन पंजाब, हरियाणा और तमिलनाडु जैसे कृषि राज्यों पर अधिक होगा। इसमें तमिलनाडु (39), पंजाब (13), और हरियाणा (10) लोकसभा सीटें हैं। इनसे किसान और कृषि समुदाय प्रभावित है। पंजाब, हरियाणा और तमिलनाडु जैसे राज्यों में मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा किसान हैं, हालांकि उनकी हिस्सेदारी के प्रतिशत अलग-अलग हैं। हरित क्रांति के पुरोधा स्वामीनाथन को भारत रत्न देने के फैसले का देशभर के किसान स्वागत करेंगे और भाजपा यह दावा कर सकेगी कि उसकी सरकार का किसानों की जीवन में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है।
कर्पूरी ठाकुर से बिहार में खेल बिगड़ा, चौधरी से समूचा जाट लैंड
कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा के बाद बिहार के सियासत में बड़ी उथल-पुथल मची। नतीजा हुआ कि नीतीश कुमार एनडीए गठबंधन के साथ आ गए। ठीक ऐसा ही हाल पश्चिमी उत्तर प्रदेश को होता दिख रहा है। यहां के प्रमुख दल राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख जयंत चौधरी एनडीए के रथ पर सवार होने जा रहे हैं। इस कवायद से भाजपा न सिर्फ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों को साधेगी, बल्कि उत्तर भारत के अलग-अलग हिस्सों में बड़े किसान समुदायों और जाटों पर अपना मजबूत दावा कर सकेगी।